फिल्ममेकर महेश भट्ट एक बार फिर विवादों में फंस गए हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिया चक्रवर्ती के साथ उनकी बातचीत के कुछ स्क्रीनशॉट सामने आए हैं। यह स्क्रीनशॉट 8 जून के हैं जब रिया ने सुशांत का घर छोड़ दिया था। रिया ने भट्ट को इस बात की जानकारी मैसेज करके दी थी जिसके बाद महेश भट्ट ने उन्हें पीछे ना मुड़कर देखने की सलाह दी थी।
इससे पहले भी खबरें थीं कि महेश भट्ट ही वो शख्स हैं जिन्होंने रिया से कहा था कि वो सुशांत से दूरी बना लें। रिया ने ऐसा ही किया और 8 जून को सुशांत से दूर हो गईं जिसके बाद 14 जून को रहस्यमई हालत में सुशांत की मौत हो गई।
वैसे, ये पहला मौका नहीं है जब महेश भट्ट किसी दूसरे सेलेब की जिंदगी के अहम फैसले लेकर सुर्खियों में आए हों। इससे पहले वह तब बेहद चर्चा में आए थे जब उन्होंने अपने दोस्त विनोद खन्ना को फिल्मी दुनिया छोड़ आध्यात्म की ओर जाने के लिए प्रेरित कर दिया था।
भट्ट के कहने पर ओशो की शरण में गए विनोद खन्ना
अस्सी के दशक में विनोद खन्ना स्टारडम के चरम पर थे। यही वो समय था जब उनकी लोकप्रियता अमिताभ बच्चन के बराबर हो चली थी। कहा जाने लगा था कि जल्द ही वह अमिताभ को पीछे छोड़ इंडस्ट्री के टॉप सुपरस्टार बन जाएंगे लेकिन इसी दौरान अपनी मां के देहांत से विनोद खन्ना टूट गए। इसी समय उनके दोस्त महेश भट्ट ने उन्हें आध्यात्म की ओर जाने की सलाह देते हुए ओशो रजनीश के बारे में बताया।
एक इंटरव्यू में महेश भट्ट ने इस बात का जिक्र करते हुए कहा था, ज्यादा लोग नहीं जानते लेकिन मैं ही विनोद खन्ना को 'ओशो' रजनीश के पुणे आश्रम ले गया था। मां की मृत्यु से दुखी विनोद को मेरे साथ उस आश्रम में काफी सुकून मिला। हम दोनों संन्यासी बन गए। हम उन दिनों भगवा चोला पहना करते थे।
कुछ समय बाद मैं आश्रम से निकल आया लेकिन विनोद वहीं रुक गए। उन्हें ओशो ने वहां रुकने के लिए मना लिया और फिर वह विनोद को अपने साथ अमेरिका ले गए। पांच वर्ष तक संन्यासी जीवन जीने के बाद विनोद फिर से मुंबई आ गए और फिल्मी दुनिया में दोबारा कदम रखा। विनोद खन्ना की फिल्मों में फिर से जगह बनाने की कोशिश नाकाम रही।
ब्लेडर कैंसर के चलते 27 अप्रैल, 2017 को विनोद खन्ना का निधन हो गया था। उनके निधन की खबर सुनकर महेश भट्ट ने एक फोटो शेयर करते ट्विटर पर लिखा था, वो भी क्या दिन थे मेरे दोस्त, वो दिन कभी खत्म नहीं हो सकते। हम हमेशा गाएंगे और डांस करेंगे।
बेहद गहरी थी दोनों की दोस्ती
महेश भट्ट को सबसे पहले विनोद खन्ना को 1979 में आई फिल्म 'लहू के दो रंग' में डायरेक्ट करने का मौका मिला था। तब विनोद खन्ना को इंडस्ट्री में पांच साल ही हुए थे। इसके बाद दोनों दोस्त बन गए। एक इंटरव्यू में महेश भट्ट ने कहा था, 'हम करीबी दोस्त थे। हम उनकी मर्सिडीज में ओशो आश्रम जाया करते थे। मेरे पास पैसा नहीं था। वह मेरी देखभाल करते थे और मेरी ट्रेवलिंग का खर्चा उठाते थे। वह सही मायनों में मेरे सीनियर थे।' महेश भट्ट ने विनोद खन्ना के साथ जुर्म (1990) और मार्ग (1992) में काम किया था।
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