उमेश कुमार उपाध्याय,मुंबई. फिल्मों से ज्यादा जिया खान सुसाइड केस को लेकर चर्चा में रहे सूरज पंचोली इन दिनोंफिल्म ‘सैटेलाइट शंकर’ के प्रमोशनकर रहे हैं।ळ इसी दौरान उनका दर्द छलक उठा। वे चाहते हैं कि अब यह केस जल्द खत्म हो।उन्होंने पूरी कहानी कुछ यूं बयां की...
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'मैं आज जिया खान सुसाइड केस पर इसलिए बात कर रहा हूं, क्योंकि इसे सात साल हो चुके हैं। इतने वक्त में कोर्ट यह डिसाइड ही नहीं कर पाया है कि क्या करना है। जिन्होंने मुझ पर केस किया है, वही कोर्ट नहीं आ रहे हैं। उन्होंने मुझ पर 7 साल पहले केस किया है। वे मुझ पर केस डालकर लंदन भाग गए। दो-तीन साल बाद मेरा ट्रायल चालू हुआ। वह भी तब जब मैंने खुद कोर्ट में जाकर बोला कि इसे शुरू करें क्योंकि मैं चाहता था कि यह बात सबके सामने आए। यह अपने आप में एक जवाब है कि मैं गिल्टी नहीं हूं। अगर गलत हूं तो साबित करके बताओ।
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ऐसी बातों को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते, क्योंकि जब आपके ऊपर कोई इल्जाम लगाता है तो फिर चाहे वो सही हो या गलत हो खुद को सही साबित करना बहुत मुश्किल हो जाता है। सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि लोग अपने माइंड में कहानियां बना लेते हैं। इससे उनका टाइम पास हो जाता है। जो बात दो पर्सेंट होती है, उसे दो सौ पर्सेंट बना दिया जाता है।'
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'7 साल में इस केस की वजह से मेरे कॅरिअर को काफी नुकसान पहुंचा है। जेल का अनुभव तो बहुत ही खराब रहा। उन्होंने मुझे अंडा सेल में अकेला रखा था। मुझे वहां बहुत ही गंदे तरीके से ट्रीट किया गया, क्योंकि मैं एक फिल्मी फैमिली से हूं। उन्हें लगता था कि बड़े घर की औलाद है, तो इसे ज्यादा सजा दें। पुलिस कस्टडी से मिलाकर जेल तक मैंने आॅलमोस्ट एक महीना वहां बिताया है। वहां खाने में वही दाल-भात मिलता था। इस दौरान मेरी मां सबसे बड़ा सहारा बनीं। वो हमारी फैमिली के पिलर की तरह बड़ी दृढ़ता से मेरे साथ खड़ी रहीं। वही मेरा सबसे बड़ा सहारा थीं।'
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उस वक्त मीडिया ने भी मेरे साथ बहुत गलत किया। वह जो भी सुन रहे थे, दूसरी पार्टी से सुन रहे थे। आज तक मुझ पर पुलिस ने या कंप्लेंट करने वालों ने जो भी इल्जाम लगाया है, अब तक कोई प्रूव नहीं हुआ है। सीबीआई का भी बोलना है कि मेरा इससे कोई लेना देना नहीं है। रही बात मीडिया की तो वो कभी पढ़ती ही नहीं कि मेरी चार्जशीट में क्या लिखा हुआ है। आपको सोचना चाहिए कि आप किसी की लाइफ के बारे में लिख रहे हो। हां, अगर प्रूव हुआ है, तब लोगों को बताओ कि यह आदमी बुरा है। आज तक इस बारे में मीडिया से इसलिए बात नहीं की क्योंकि मुझे मीडिया से नहीं कोर्ट से जस्टिस मिलेगा।'
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सूरज कहते हैं - "जिस वक्त यह सब हुआ तब मैं बहुत यंग था। मुझे नहीं पता था कि क्या हो रहा है। 21 साल का आदमी मैच्योर नहीं होता। इसकी वजह से मेरे कैरियर को काफी नुकसान हुआ।पर ऊपर वाला शायद इसलिए करता है कि आप स्ट्रांग बनो। लोगों से मेरी यही विनती है कि आप जो पढ़ते हो, उस पर तब तक बिलीव मत करो, क्योंकि आदमी अपना पेट भरने के लिए किसी के भी पेट पर लात मार सकता है। वह मेरे साथ हो चुका है। मैं बस यही चाहता हूं कि मेरा केस चालू हो। जो कुछ है वह कोर्ट डिसाइड करे।’
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