बॉलीवुड डेस्क.आयुष्मान खुराना लगातार व्यस्त चलरहे हैं। इसके बावजूद वे इस दीवाली पर अपनों के लिए वक्त निकाल रहे हैं। इस बार वे फैमिली के साथरोशनी का त्यौहार मनाने चंडीगढ़ जाएंगे। साथ ही इस बार वह दिवाली के तोहफोंके जरिए सामाजिक सरोकार से जुड़े एक खास कॉज का समर्थन करेंगे।
सोशल कॉज से करेंगे सपोर्ट : आयुष्मान और ताहिरा सभी को ऐसे तोहफेभेजेंगे, जिन्हें कूड़ा उठाने वाली महिलाओं ने अपने हाथों से बनाया है। आयुष्मान और ताहिरा दोनों मिलकर हैंडमेड दीये, कैंडल्स और बाकी प्रोडक्ट बांटेंगे। उन कूड़ा उठाने वाली औरतों को एक एनजीओ ने आर्टिजन बनने की ट्रेनिंग दी है। ये महिलाएं रैगपिकर्स के रूप में जैसे-तैसे अपनी जिंदगी गुजारती हैं और अपनी आंखों, लंग्स (फेफड़े) और पूरी सेहत एवं तंदुरुस्ती को खतरे में डालते हुए बड़े डंप-यार्ड से कूड़ा बीनती हैं। यह एनजीओ इन रैगपिकर महिलाओं को ट्रेनिंग देने में माहिर है, जो ड्राई फ्लावर्स से आर्टिस्टिक दीये, कैंडल्स, पेंटिंग्स तथा इसी तरह के कई अन्य प्रोडक्ट्स बनाती हैं।
दिवाली मतलब है खुशी : अपनी गिफ्टिंग आइडिया के बारे में आयुष्मान कहते हैं-“दीवाली का मतलब दूसरों के जीवन में ख़ुशी लाना भी है। हम यह त्यौहार अपने-अपने परिवारों के साथ मनाते हैं, लेकिन हमें इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि, कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हम सहारा दे सकते हैं और उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं। इन प्रोडक्ट्स को तोहफेके रूप में देकर, हम इस ऑर्गेनाइजेशन द्वारा इन महिलाओं की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को लोगों के सामने लाना चाहते हैं, जो यह संगठन इन महिलाओं के साथ कर रहा है, जिन्हें हम सभी के समर्थन की बेहद जरूरत है। हमें उम्मीद है कि हम सामाजिक सरोकार से जुड़े इस मुद्दे के समर्थन के लिए ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को जागरूक बना पाएंगे।”
ताहिरा ने कहा- "हमने इन महिलाओं के द्वारा तैयार किए गए प्रोडक्ट्स को तोहफेके रूप में देने का फैसला लिया, ताकि हम उनके शानदार काम को दुनिया के सामने ला सकें और लोगों को उनके द्वारा हासिल सकारात्मक नतीजों के बारे में बता सकें। हम उनकी मेहनत को सबके सामने लाना चाहते हैं, साथ ही हम सभी को यह बताना चाहते हैं जिंदगी बेहद कीमती है और इसे केवल पेट पालने के लिए खतरनाक काम करके बर्बाद नहीं करना चाहिए। हम सभी को ऐसी अनगिनत महिलाओं के भविष्य को सुरक्षित बनाना होगा, और इसलिए हम चाहते हैं कि ज्यादा-से-ज्यादा लोग उनके काम के बारे में जानें और उन्हें सहारा दें।"
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