बॉलीवुड डेस्क. फिल्ममेकर्स महाराष्ट्र में करीब एक महीने तक चली सियासी उठापटक की कहानी बड़े पर्दे पर दिखाने के लिए बेताब हैं। उनके बीच फिल्म का टाइटल रजिस्टर्ड कराने की होड़ लगी हुई है। रिपोर्ट्स की मानें तो इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईएमपीपीए) के पास पिछले सप्ताह हर दिन 5 से 10 टाइटल रजिस्ट्रेशन के आवेदन आए। इनमें 'चाणक्य का खेल', 'महागठबंधन' 'अघाड़ी', 'महायुती' और 'साहेब' जैसे टाइटल शामिल हैं।
टी-सीरीज जैसी बड़ी प्रोडक्शन कंपनियां ले रहीं रुचि
मिड डे की रिपोर्ट में आईएमपीपीए से जुड़े करीबी सूत्रों के हवाले से लिखा गया है टी-सीरीज जैसी बड़ी कंपनियां महाराष्ट्र के ताजा राजनीतिक माहौल पर फिल्म बनाने में रुचि ले रही हैं। हालांकि, टाइटल रजिस्टर्ड करने की प्रक्रिया काफी धीमी है। एक आवेदन को प्रोसेस में लाने में करीब 40-50 दिन का वक्त लगता है। इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए प्रीमियम फीस चुकानी होती है, जो 3 हजार रुपए है। कई टॉप स्टूडियोज ने यह फीस अदा की है, ताकि उन्हें एक सप्ताह के अंदर रिस्पॉन्स मिल सके और महीने भर का इंतजार न करना पड़े।
ओरिजिनल सब्जेक्ट खरा सोना
इसी रिपोर्ट में ट्रेड एक्सपर्ट आमोद मेहरा के हवाले से लिखा गया है कि ऐसे समय में जहां कई रीमेक बन रही हैं, वहां इस तरह के असली विषय फिल्ममेकर्स के लिए खरा सोना साबित हो सकते हैं।
24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे सामने आए। इसके बाद साथ चुनाव लड़ी भाजपा-शिवसेना में फूट पड़ी और सरकार नहीं बन सकी। फिर राष्ट्रपति शासन, महागठबंधन का गठन, भाजपा-एनसीपी की गुपचुप सरकार का बनना, सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट कराने के फैसले के बाद पहले उप मुख्यमंत्री पद से अजित पवार, फिर मुख्यमंत्री पद से देवेन्द्र फडणवीस का इस्तीफा और फाइनली शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार का बनना सबकुछ काफी ड्रामेटिकल रहा। यही वजह है कि फिल्ममेकर्स को इसमें भरपूर मसाला दिखाई दे रहा है।
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